लखनऊ के आम लोगों की बस्तियों में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूल सुविधाओं को देने में विफल सरकार द्ववारा आजकल मुख्यमंत्री निवास से लेकर गोमतीनगर होते हुए पालीटेक्निक तक विश्व स्तर (?) की अति चौड़ी सड़क 'लोहिया पथ' का युध्दगति से निर्माण किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण सड़क पर सरकार के बड़े -बड़े कार्यालय, दैत्याकार शापिंग माल व मल्टीप्लेक्स और मुलायम सिंह की महत्वाकांक्षी लोहिया पार्क स्थित हैं। दोतों तरफ चार चार पंक्तियों वाली सड़क के दोनों किनारों पर साइकिल सवारों के लिए एक अलग गलियारा बनाया जा रहा है। गलियारे के दोनों ओर लगभग 7 फुट ऊंचे लोहे के जाल भी लगाए जा रहे हैं। भविष्य में इन्हीं जाल लगे गलियारों के अन्दर साईकिल सवारों को चलना होगा। दलील यह है कि ऐसा साईकिल सवारों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है ताकि
वह तेज़ रफतार वाहनों की चपेट में न आ जाएं। असलियत क्या है इसका अंदाजा लगाना जरा भी मुश्किल नहीं है। यह सड़क नैनीताल की माल रोड की तरह होगी जहां ब्रिटिश शासन में ब्लडी इंडियन्स का चलना वर्जित था। लोहिया पथ पर बड़े लोगों की लम्बी लम्बी कारों के साथ कंधे लटकाए,निस्तेज आंखों वाले साईकिल सवार छोटे लोग चलें – यह सांमती विचारधारा के दम्भी लोग कैसे गवारा कर सकते हैं ? इस गलियारे में अगर एक बार कोई घुस जाए तो फिर वह बीच में कहीं बाहर नहीं निकल सकता। गलियारे के बीच में अगर कोई भंयकर हादसा हो जाए तो साईकिल सवार का उससे बच निकलना असंभव है। और तो और इस रास्ते के बीच में पड़ने वाले रेलवे क्रासिंग के ऊपर भी एक ऊंचा सा पुल भी बनाया जा रहा है,जिस पर चढ़कर साईकिल सवारों को चलने के लिए अच्छी खासी मेहनत करनी होगी। सबसे अचम्भे की बात यह है कि यह सब मुलायम सिंह के शासन में हो रहा है,
जिनका चुनाव चिन्ह साईकिल ही है। और यह वही साईकिल सवार हैं जिनके बल-बूते पर मुलायम आज तक जीतते आए हैं।
वह तेज़ रफतार वाहनों की चपेट में न आ जाएं। असलियत क्या है इसका अंदाजा लगाना जरा भी मुश्किल नहीं है। यह सड़क नैनीताल की माल रोड की तरह होगी जहां ब्रिटिश शासन में ब्लडी इंडियन्स का चलना वर्जित था। लोहिया पथ पर बड़े लोगों की लम्बी लम्बी कारों के साथ कंधे लटकाए,निस्तेज आंखों वाले साईकिल सवार छोटे लोग चलें – यह सांमती विचारधारा के दम्भी लोग कैसे गवारा कर सकते हैं ? इस गलियारे में अगर एक बार कोई घुस जाए तो फिर वह बीच में कहीं बाहर नहीं निकल सकता। गलियारे के बीच में अगर कोई भंयकर हादसा हो जाए तो साईकिल सवार का उससे बच निकलना असंभव है। और तो और इस रास्ते के बीच में पड़ने वाले रेलवे क्रासिंग के ऊपर भी एक ऊंचा सा पुल भी बनाया जा रहा है,जिस पर चढ़कर साईकिल सवारों को चलने के लिए अच्छी खासी मेहनत करनी होगी। सबसे अचम्भे की बात यह है कि यह सब मुलायम सिंह के शासन में हो रहा है,
जिनका चुनाव चिन्ह साईकिल ही है। और यह वही साईकिल सवार हैं जिनके बल-बूते पर मुलायम आज तक जीतते आए हैं।
वर्ग भेद की इस घिनौनी कुचेष्टा करने वाले सामंती विचाराधारा से पोषित व्यक्तियों के गुट में मुलायम सिंह जैसे समाजवादी का होना अखरता है।
ये जो फफोले तलुओं मे दीख रहे हैं ये मुझको उकसाते हैं । पिण्डलियों की उभरी हुई नसें मुझ पर व्यंग्य करती हैं ।मुँह पर पड़ी हुई यौवन की झुर्रियाँ क़सम देती हैं ।कुछ हो अब, तय है – मुझको आशंकाओं पर क़ाबू पाना है,पत्थरों के सीने में प्रतिध्वनि जगाते हुए परिचित उन राहों में एक बार विजय-गीत गाते हुए जाना है – जिनमें मैं हार चुका हूँ ।
- दुष्यन्त कुमार
- दुष्यन्त कुमार