गुरुवार, दिसंबर 28, 2006

मेरी बातों में मसीहाई है, लोग कहते हैं बीमार हूं मैं

कल डाक्‍टर ने बताया कि अब मैं पूर्ण रूप से स्‍वस्‍थ हैं और अब अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकता हूं। इस ब्‍लाग को प्रारम्‍भ करने से पूर्व मैंने सोचा था कि इसमें नियमित रूप से लिखा करूंगा, पर बीमारी ने ऐसा घेरा कि सब कुछ सोचा धरा का धरा रह गया। साथ ही कुछ ऐसा भी हुआ जिसका मुझे अनुमान भी न था। मेरे अनजान ब्‍लाग को लगभग 300 से ज्‍यादा लोग पढ़ेंगे यह मैंने कभी नहीं सोचा था। इसके अलावा 153 सर्वथा अपरिचित सज्‍जनों से शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के संदेश भी ई-मेल द्वारा प्राप्‍त हुए, इतने लोग तो व्‍यक्तिगत रूप से भी मेरा हालचाल लेने नहीं आए। आप सभी बन्‍धुओं के प्रति मैं दिल से आभार प्रकट करता हूं। एक बात और जिसका मैं विशेष रूप से उल्‍लेख करना चाहूंगा - अपने ब्‍लाग के प्रथम अतिथि श्री अफलातून जी को भूल जाना मेरे लिए सम्‍भव न हो पाएगा और जब कभी प्रभु की इच्‍छा होगी मैं उनसे व्‍यक्तिगत रूप से अवश्‍य मिलूंगा।

इस ब्‍लाग पर पधारे प्रत्‍येक अतिथि को एक बार पुन: धन्‍यवाद और साथ ही आशा करता हूं कि आप सबसे ऐसा ही स्‍नेह मुझे हमेशा प्राप्‍त होता रहेगा।

मेरी बातों में मसीहाई है, लोग कहते हैं बीमार हूं मैं
एक लपकता हुआ शोला हूं मैं, एक चलती हुयी तलवार हूं मैं

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