शनिवार, दिसंबर 30, 2006

नव वर्ष आपके लिए सुखद,स्‍वस्‍थ और समृध्‍द हो।


नव वर्ष में आपके मार्ग प्रशस्‍त हों, उस पर पुष्‍प हों, नये कोमल दूब हों, आपके उद्यम व आपके प्रयास सफल हों, सुखदायी हों और आपके जीवन-सरोवर में मन को प्रफुल्लि त करने वाले कमल खिले हों।

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आपको भी नव वर्ष की ढ़ेरों मंगलकामनायें.

sur ने कहा…

नव वर्ष की बहुत शुभकामनाएं

अफ़लातून ने कहा…

[http://samatavadi.wordpress.com/2006/12/31/poem-rajan/]
मैं जितने लोगों को जानता हूँ
उनमें से बहुत कम लोगों से होती है मिलने की इच्छा
बहुत कम लोगों से होता है बतियाने का मन
बहुत कम लोगों के लिए उठता है आदर-भाव
बहुत कम लोग हैं ऐसे
जिनसे कतरा कर निकल जाने की इच्छा नहीं होती
काम-धन्धे, खाने-पीने, बीवी-बच्चों के सिवा
बाकी चीजों के लिए
बन्द हैं लोगों के दरवाजे
बहुत कम लोगों के पास है थोड़ा-सा समय
तुम्हारे साथ होने के लिए
शायद ही कोई तैयार होता है
तुम्हारे साथ कुछ खोने के लिए

चाहे जितना बढ़ जाय तुम्हारे परिचय का संसार
तुम पाओगे बहुत थोड़े-से लोग हैं ऐसे
स्वाधीन है जिनकी बुद्धि
जहर नहीं भरा किसी किस्म का जिनके दिमाग में
किसी चकाचौंध से अन्धी नहीं हुई जिनकी दृष्टि
जो शामिल नहीं हुए किसी भागमभाग में
बहुत थोड़े-से लोग हैं ऐसे
जो खोजते रहते हैं जीवन का सत्त्व
असफलताएं कर नहीं पातीं जिनका महत्त्व
जो जानना चाहते हैं हर बात का मर्म
जो कहीं भी हों चुपचाप निभाते हैं अपना धर्म
इने-गिने लोग हैं ऐसे
जैसे एक छोटा-सा टापू है
जनसंख्या के इस गरजते महासागर में

और इन बहुत थोड़े-से लोगों के बारे में भी
मिलती हैं शर्मनाक खबरें जो तोड़ती हैं तुम्हें भीतर से
कोई कहता है
वह जिन्दगी में उठने के लिए गिर रहा है
कोई कहता है
वह मुख्यधारा से कट गया है
और फिर चला जाता है बहकती भीड़ की मझधार में
कोई कहता है वह काफी पिछड़ गया है
और फिर भागने लगता है पहले से भागते लोगों से ज्यादा तेज
उसी दाँव-पेंच की घुड़-दौड़ में
कोई कहता है वह और सामाजिक होना चाहता है
और दूसरे दिन वह सबसे ज्यादा बाजारू हो जाता है
कोई कहता है बड़ी मुश्किल है
सरल होने में

इस तरह इस दुनिया के सबसे विरल लोग
इस दुनिया को बनाने में
कम करते जाते हैं अपना योग
और भी दुर्लभ हो जाते हैं
दुनिया के दुर्लभ लोग

और कभी-कभी
खुद के भी काँपने लगते हैं पैर
मनुष्यता के मोर्चे पर
अकेले होते हुए

सबसे पीड़ाजनक यही है
इन विरल लोगों का
और विरल होते जाना

एक छोटा-सा टापू है मेरा सुख
जो घिर रहा है हर ओर
उफनती हुई बाढ़ से

जिस समय काँप रही है यह पृथ्वी
मनुष्यो की संख्या के भार से
गायब हो रहे हैं
मनुष्यता के मोर्चे पर लड़ते हुए लोग ।
- राजेन्द्र राजन .

बेनामी ने कहा…

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं मित्रवर। भगवान करे यह वर्ष आपके जीवन में खुशियों तथा संभावनाओं के नए द्वार खोले।